महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on Women Empowerment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on Women Empowerment in Hindi :- तेजी से बदलते इस संसार में महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही जरूरी विषय है जिस पर आज हम आपके लिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) लेकर आये हुये है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में | Essay on Women Empowerment in Hindi

यह महिला सशक्तिकरण पर हिंदी में निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित है इस पोस्ट को आप अच्छे से पढ़े और अपनी लेखन क्षमता को मजबूत बनाएं। महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) का उपयोग आप कहीं भी निबंध लिखने में कर सकते हैं या लेखक के विचार को अपने विचार से मिलाकर अपने निबंध को और अच्छा बना सकते हैं।

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महिला शशक्तिकरण पर निबंध

प्रस्तावना :-

प्राचीन युग से हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूजनीय एवं देवी तुल्य माना गया है। हमारी धराणा यह रही है कि जहां पर समस्त नारी जति को प्रतिष्ठा व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है वहीं पर देवता निवास करते हैं।

कोई भी परिवार,समाज तथा राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव निरादर व हीनभाव का त्याग नहीं कर सकता करता हैं।

“स्त्री पुरुष की गुलाम नहीं गुलाम नहीं की गुलाम नहीं गुलाम नहीं – सहधर्मिणी अर्धांगिनी और मित्र है”

महात्मा गांधी

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

मैथिली शरण गुप्त

नारी का स्थान :-

जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक में नारी का स्थान सम्मानजनक नारी का स्थान सम्मानजनक होता है, वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है। परिवार और समाज के निर्माण में नारी का स्थान सदैव ही महत्वपूर्ण रहा है।

जब समाज सशक्त और विकसित होता है तब राष्ट्र मजबूत होता है। इस प्रकार एक सशक्त राष्ट्र निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है। माता के रूप में नारी एक बालक की प्रथम गुरु होती है। जॉर्ज हर्बर्ट ने कहा था कि “एक अच्छी माता 100 शिक्षकों के बराबर होती हैं इसलिए उनका सम्मान हर हालत में होना चाहिए।”

प्राचीन काल मे नारी की स्थिति :-

भारतीय समाज में वैदिक काल से ही नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना ही जाता है। किंतु कालांतर में नारी की स्थिति का ह्रास हुआ मध्यकाल आते-आते यह स्थिति अपनी चरम सीमा चरम सीमा पर पहुंच गई।

क्योंकि अंग्रेज का मकसद भारत पर शासन करना था ना कि भारत की रिति-रिवाजों, मानताओं और समाज सुधार करना था। इसलिए ब्रिटिश शासन काल में भारतीय नारियों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। अपवाद के रूप में कुछ छोटी-मोटी पहले जरूर हुई पर इसका कोई विशेष असर नारी के स्थित पर नहीं पड़ा।

प्राचीन काल में नारी को विशिष्ट सम्मान एवं पूजनीय दृष्टि से देखा जाता था। सीता, सती, सावित्री, अनुसूया, गायत्री आदि अनगिनत भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्ध किया है।

मध्यकाल में नारी की स्थिति :-

कालांतर में देश पर हुई अनेकों आक्रमण के पश्चात भी भारतीय नारियों की दशा में भी परिवर्तन आने लगा। नारी के स्वयं की विशिष्टता एवं समाज में स्थान हीन होता चला गया। अंग्रेजी शासन काल के आते-आते भारतीय नारियों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई।

उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिन- प्रतिदिन उसे उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता। आजादी के बाद ऐसा सोचा गया था कि भारतीय नारी एक नई हवा में सांस लेंगी और शोषण तथा उत्पीड़न से मुक्त होंगी किन्तु ऐसा।

आजादी के बाद कानूनी स्तर पर नारी की स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास तो खूब हुए किंतु सामाजिक स्तर पर जो सुधार आना चाहिए वह परिलक्षित नहीं हुआ, जिसका मुख्य कारण रहा हमारे पुरुष प्रधान मानसिकता जिसमें हमने कहीं पर लाभ पर लाभ लाभ नहीं कर पाया और नारी के प्रति हमारा रवैया दोयम दर्जे का रहा। यही कारण है कि वैदिक काल में जो नारी शीर्ष पर रही आज उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है।

अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चांदबीबी जैसी कई भारतीय नारियां अपवाद थी। जिन्होंने सभी परंपराओं से ऊपर उठकर इतिहास के पन्नों में अपना एक विशेष स्थान बनाया। स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय नारियों  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आजादी के बाद भारत में नारी की स्थिति :-

भारतीय नारी के साथ विरोधाभास की स्थित सदैव रही है। पहले भी थी, आज भी है। हमारे प्रार्थना धर्म ग्रंथों में “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” सूत्र वाक्य द्वारा यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि जहां नारी को पूजनीय होती हैं, वहां देवता निवास करते हैं। देश में जहां एक तरफ लक्ष्मी, सीता, दुर्गा, पार्वती के रूप में नारी को देव तुल्य माना जाता माना जाता है। वहीं उन्हें अबला बता कर परंपरा एवं रूढ़ियों की बेड़ियों में भी जकड़ा जाता है।

यदि आजादी के बाद कुछ कार्यक्रम  को छोड़ दिया जाए तो आज भी विभिन्न आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों में लैंगिक विषमता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है से देखा जा सकता है। यही कारण है कि महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला “विधेयक महिला आरक्षण” विधेयक लागू नहीं हो पाया है। इसके तहत लोकसभा एवं विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण चक्रानुक्रम पद्धति द्वारा देने का प्रावधान किया गया है। जब तक राजनीति में नारी की भागीदारी नहीं बढ़ेगी तब तक नारी सशक्तीकरण सही रूप से से नहीं हो पाएगा।

भारत में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in India) :-

ऐसा नहीं है कि भारत में नारी सशक्तिकरण करने के लिए प्रयास नहीं किया गया है। हमारे देश में नारी सशक्तिकरण को बल देकर  महिलाओं को और आगे बढ़ाने का प्रयास हर समय जारी रहता है।

वर्तमान समय में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 15(3), 16(2), 23, 39(क), 39(घ), 39(5) एवं 42 के महिला अधिकारों को विविध रूप से संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय निकायों में उनके लिए आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।

अन्य पहलों के साथ अनैतिक व्यापार अधिनियम 1959, प्रसूति पर सुविधा अधिनियम 1961, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, सती निषेध अधिनियम 1987, दहेज निरोधक कानून 1961,  घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, यौन उत्पीड़न कानून 2012 और आपराधिक कानून संसोधन अधिनियम 2013 का प्रावधान किया गया है।

इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को बल देने के लिए कई योजनाएं चालू की गई जैसे अबला, जननी सुरक्षा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, लाडली, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और तेजस्विनी जैसी कई योजनाओं का सफल संचालन किया जा रहा है। राज्य सरकारों के द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

नारी सशक्तिकरण में होने वाली बाधाएं :-

यह सही है कि सरकार द्वारा अपने स्तर पर नारी सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए गए हैं परंतु यह प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब तक धरातल पर पुरुष प्रधान मानसिकता का संपूर्ण रूप से विनाश ना हो जाए। आज भी घटता लिंगानुपात भ्रूण हत्या, दहेज उत्पीड़न, बधुआ मजदूरी, नारी तस्करी जैसी कुरीतियां हमारे देश में अभी तक बनी हुई है यह नारी सशक्तीकरण के लिए एक बहुत ही विकट समस्या बनकर खड़ी हुई है।

नारी का उत्थान :-

वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के लिए जन जन तक यह संदेश जाना जरूरी है कि महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। आज महिलाओं को राजनैतिक, सामाजिक ,शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षेत्र में उनके परिवार समुदाय समाज एवं राष्ट्र की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करने की आवश्यकता है।

नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा :-

नारी को सशक्त बनाए बगैर हम मानवता को सशक्त नहीं बना सकते। संवेदना, करुणा, वात्सल्य, ममता, प्रेम, विनम्रता, सहनशीलता आदि नारी के वह गुण है, जिससे वह मानवता को निखार और मानवता को निखार और और संवारकर उसे मजबूत रूप से सशक्त बना सकती हैं। इसके लिए अति आवश्यक यह है कि महिलाओं का सम्मान हो है कि महिलाओं का सम्मान हो और हर क्षेत्र के समान भागीदारी हो।

महिलाओं को हर संभव प्रयास किया जाए कि वे साक्षर बने और हर क्षेत्र में उनके नेतृत्व भावनाओं को प्रोत्साहन देते हुए महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जाए। महिलाओं पर हो रही हिंसा का  अन्त हो और उन्हें शांति, सुरक्षा और विकास की हर एक पहलुओं में शामिल किया जाए।  हर राष्ट्र को यह चाहिए कि महिलाओं को आर्थिक विकास एवं सामाजिक विकास योजना में महिलाओं को शामिल किया जाए। हर राष्ट्र “जेंडर बजटिंग” प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसकी पहल भारत में हो चुकी है।

इन सबके साथ-साथ यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि सभी कार्यक्रम एवं योजनाएं तभी अपना रंग दिखा पाएंगे जब नारी खुद के अधिकार के संदर्भ में जागरूक हों तभी यह स्वयं को सशक्त सकेंगी।

उपसंहार :-

स्पष्ट है कि भारत में शताब्दियों की पराधीनता के कारण महिलाएं अभी भी समाज में वह स्थान नहीं प्राप्त कर पाई है जो उन्हें मिलना चाहिए और जहां दहेज की वजह से कितनी बहू-बेटियों को जान से हाथ धोना पड़ता है तथा बलात्कार आदि की घटनाएं भी होती रहती हैं। वही हमारी सभ्यता और संस्कृतिक परंपराओं और शिक्षा के प्रसार तथा नित्य प्रति बढ़ रही जागरूकता के कारण भारत की नारी आज दुनिया की महिलाओं से आगे है और पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधा से कंधा मिलाकर देश और समाज के विकास में अपनी भूमिका निभा रही है।

महिला शशक्तिकरण पर यह निबंध कितने शब्दों का हैं ?

यह निबंध लगभग 1400 शब्दों का हैं। जिसे आप आवश्यकता अनुसार लघु या दीर्घ कर सकते है।

महिलाओं की स्थिति भारत में क्या है

वर्तमान समय मे महिलाओं की स्थिति की भारत में प्राचीन काल से सुधर चुकी हैं परन्तु अब भी कुछ निकृष्ट विचारधारा के कारण महिलाओं को आगे आने में बाधाएं आ रही हैं।

क्या महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक की समाप्ति के लिए एक आवश्यक निर्णय हैं?

हाँ, महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक की समाप्ति के लिए एक आवश्यक निर्णय हैं इससे महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन नही होगा।

क्या आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है?

आधुनिक युग में भी महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है क्योंकि अभी भी कुछ विचारधारा से पनप नहीं है जो कि महिलाओं को आगे आने में बाधाएं पहुँचाती है।

आशा करता कि हमारे द्वारा लिखा गया है यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) अच्छा लगा होगा इसे पढ़कर आप अपनी लेखन क्षमता को और अधिक बढ़ा सकते हैं इसका उपयोग आप किसी भी परीक्षा में भी कर सकते हैं। महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) लिखा गया यह निबंध आधुनिक विचारधारा एवं पौराणिक विचारधारा को लेकर संकलित किया गया है भारत में महिलाओं की स्थिति किस प्रकार की है यह भी बताया गया है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) से विचार लेकर विद्यार्थी भारत में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in India) पर भी निबंध लिख सकता है उसे और अधिक बेहतर बना सकता है।

2 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on Women Empowerment in Hindi”

  1. काफी अच्छा निबंध है मुझे परीक्षा में सफलता दिलाने में सहायक होगा। धन्यवाद

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